Anju
on July 22, 2019 128 views
हाल ही में सुर्ख़ियों में साम्प्रदायिकता का खूब बोल बाला रहा, पहले एक खबर आई जिसमे कम्युनल सर्विस के नज़रिये से रांची के जज महोदय को हिन्दू लड़की को कुरान बांटने का फैसला सुनाना भारी पड़ा और उन्हें अपना फैसला वापस लेना पड़ा। साम्प्रदायिकता के भाव को कम करने की कोशिश में ऐसा फैसला देना जज साहब की गलती बताई गयी लेकिन उसके तुरंत बाद ही बिहार से आई खबरों ने सम्प्रदियकता से बढ़ते खतरों का प्रमाण दे दिया।
पहली खबर थी कि बिहार के सारन जिले से, जहाँ तीन अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को भैंस चुराने के आरोप में भीड़ ने इतना मारा कि उन्होंने दम तोड़ दिया। दूसरी खबर में भी मंदिर में दम्पति को चोरी के शक के चलते प्रताड़ित किया गया और इतना मारा गया की पति की मौत हो गयी।
जब mob-lynching पर सुर्खियां गरमाई तो बिहार के CM ने बड़ी आसानी से कह दिया "लोगों ने भैंस चुराई थी ये लिंचिंग का मामला नहीं है", शायद cm साहब के लिए भी पशु चुराना किसी इंसान की हत्या से ज्यादा बड़ा आरोप है। ऐसी ही वजह से देश में पिछले 5-6 सालों में तक़रीबन 95 मौतें हो चुकी हैं। और आए दिन भीड़तंत्र कानून-व्यवस्था की धज्जियां उड़ा रहा है।
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